घर में गार्डन बनाना बहुत से लोगों को खूब पसंद होता है। हालांकि कभी कभी स्थान तो कभी जानकारी की कमी से लोग इसे कर नहीं पाते है। थोड़ी-सी प्रयास से आप कम स्थान में भी बढ़िया गार्डन तैयार कर सकते हैं, जिसमें सजावटी फूलों से लेकर तमाम फल व सब्जियां भी उगा सकते हैं। अपनी स्वास्थ्य के साथ-साथ इससे पने पर्यावरण की हिफाजत में भी सहयोग दे सकते हैं। अगर आपको हरियाली से प्यार है व आप छोटा-सा ही सही, लेकिन अपना गार्डन चाहते हैं तो यह बेशक मुमकिन है। स्थान की कमी के बावजूद आप बेहतर टेरस या किचन गार्डन बना सकते हैं। यहां गार्डनिंग कर आप सजावटी पौधों व फूलों के अतिरिक्त फल-सब्जियां भी लगा सकते हैं। आप टेरस, बालकनी, खिड़कियां या लिविंग रूम या फिर छोटे से लॉन में भी हरियाली बिखेर सकते हैं। आइए जानते हैं गार्डनिंग के टिप्स के बारे में गर्म ट्रॉपिकल जलवायु हरी मिर्च के लिए सबसे
उपयुक्त होती है। अगर आप ऐसे जलवायु में नहीं रहते हैं तो अच्छे परिणाम के लिए आपको इंडोर या फिर ग्रीनहाउस का सहारा लेना पड़ेगा। हरी मिर्च के पौधों को गर्मी पर्याप्त मात्रा में चाहिए होती है। इसलिए हरी मिर्च का पौधा लगाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उन्हें सूरज की पूरी लाइट मिले। पौधे ऐसी जगहों पर बिल्कुल न लगाएं जहां रात का तापमान 15 डिग्री से नीचे चला जाता हो। मिर्च के पौधे को उर्वर मिट्टी में लगाएं। अगर आप गमले में पौधे को लगा रहे हैं तो ऑर्गेनिक कम्पोस्ट का प्रयोग जरूर करें। मिर्च के बीज को जमीन में कम से कम 3 इंच नीचे डालने की आवश्यकता होती है। जब पौधे जमीन से बाहर आ जाएं तो आप इसे यहां से हटाकर गमले या फिर किसी उपयुक्त जमीन पर लगा दें। मिर्च उगाने के दौरान पौधों को नियमित रूप से पानी दें पर ध्यान रखें कि ज्यादा पानी खतरनाक होने कि सम्भावना है। टमाटर का पौधा उगाने के लिए सबसे पहले ऐसी स्थान चुनें जहां पर्याप्त धूप आती हो।
दरअस्ल, टमाटर के पौधे को दिन में कम से कम 8 से 10 घंटे की धूप चाहिए होती है। जितना संभव हो उतना बड़ा गमला चुनें। टमाटर के पौधे को काफ़ी पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है तो इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि गमले में पर्याप्त मिट्टी हो। आपको समय-समय पर मिट्टी की पोषकता को बढ़ाने का प्रबंध करना होगा। आप बायोडीग्रेडेबल किचन वेस्ट को इस गमले में डालें। आप किसी टमाटर से बीज निकालें। उसके बाद कुछ पेपर कप्स लें व उन्हें एक इंच तक गमले की मिट्टी डालकर भरें। फिर टमाटर के बीज डालें। उसके बाद ऊपर से मिट्टी डालकर बीजों को ढंक दें। कुछ दिनों तक पेपर कम पर पानी का छिड़काव करते रहें। कुछ दिनों बाद आपको अंकुर आते दिखेंगे। जब अंकुर की लंबाई लगभग एक इंच हो जाए तब पेपर कप को काटकर पौधे को गमले में प्लांट कर दें। एक गमले में केवल एक पौधा लगाएं। मिट्टी हल्की नम रहे, पर बहुत ज़्यादा गीली नहीं। जब पौधे बड़े होने प्रारम्भ हो जाएं तो उन्हें लकड़ी का सहारा दे दें, वर्ना वे फलों के बोझ से झुक जाएंगे। पौधे को रोज़ाना पानी
धनिया एक 6-10 इंच का छोटा सा पौधा होता है, इसे लगाना व देखभाल करना भी बहुत ज्यादा सरल होता है। एक चौड़ा गमला या फिर जमीन में पहले खर-पतवार हटा के साफ मिट्टी भरें, गोबर की खाद या जैविक खाद मिला लेने से व अच्छा होता है। इस मिटटी को गमले में भरने के बाद पानी डाल के नम कर लें। अब धनिया के बीजों को फैला दें। ये बीज एक दूसरे से करीब 6-8 इंच दूर होने चाहिए। अब सारे गमले में 0.5-1 सेंटीमीटर मिटटी की परत बिछा दें। धनिया के पौधों में बराबर पानी डालना चाहिए पर ध्यान रखें कि इसे इतना पानी चाहिए कि नमी बनी रहे पर गीला न हो। एक स्प्रे बोतल से पानी का छिड़काव करें। 7-10 दिनों में अंकुर निकलने लगेंगे।
करेला एक मौसमी बेल है जो कि सूरज की लाइट की समुचित उपलब्धता के साथ गर्म जलवायु में होता है। इसे यदि अप्रैल व मई की महीने में उगाया जाए तो यह अच्छे से उगेगा। करेले को या तो उसके बीज को बोकर उगाया जा सकता है या फिर प्रतिरोपण भी कियी जा सकता है। सबसे पहले आधे इंच की जमीन खोदिए व उसमें दो से तीन बीज फैला दीजिये। बीज को एक दिन पहले पानी में भिगो कर रखने से यह अच्छी तरह से उगेगी। जब आप बीज को बो दें तब मिट्टी पर पानी छिड़क दें। फिर 2-3 दिनों में यह बढ़ना प्रारम्भ हो जाएगी। इन पौधो को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती। बस इन्हें समय समय पर खूब सारा पानी देते रहें। जब फल हल्का हरा दिखे व अंदर का भाग सफेद व रसदार तब आप इसे तोड़ सकते हैं। इसको बढ़ने में वैसे तो 3-4 महीने लग जाते हैं।



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